कर्नाटका
के शृंगएरी पीठ से जम्मू पहुंची माता शरधा जी की मूर्ति, टिटवाल नियंत्रण रेखा पर किशनगंगा नदी के किनारे बनाए मंदिर मे होगी स्थापित
कर्नाटका के शृंगएरी पीठ से शुरू हुई शरधा माता जी की मूर्ति यात्रा आज जम्मू पहुंची । इस अवसर पर कश्मीरी पंडित सभा कश्यप भवन अमफल मे कार्यक्रम का आयोजन किया गया । जिसमे कर्नाटका के शृंगएरी पीठ से आई माता शरधा जी की मूर्ति का विशेष पूजा अर्चना के साथ स्वागत किया गया । कार्यक्रम मे जम्मू कश्मीर सनातन धर्म सभा के अध्यक्ष पुरुषोत्तम दधीचि, पूर्व MLC रमेश अरोरा , कश्मीरी पंडित सभा के रवींद्र पंडित सहित कश्मीरी पंडित समाज के साथ जम्मू के गणमान्य लोगों ने भाग लिया ओर माता शरधा की पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया । आपको बतादे की कर्नाटका के शृंगएरी पीठ से आई माता शारधा की मूर्ति को नियंत्रण रेखा पर कश्मीर के टिटवाल मे बनाए गए माता शरधा के मंदिर मे स्थापित किया जाएगा ।
टीटवाल किशनगंगा नदी के किनारे पर स्थित है और बंटवारे से पूर्व यहीं से शारदा पीठ के लिए यात्रा आरंभ होती थी। वर्ष 1948 तक शारदा पीठ जाने वाले श्रद्धालुओं के विश्राम के लिए सदियों पुरानी धर्मशाला थी। इसमें श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए व्यवस्था रहती थी। अब शारदा पीठ गुलाम कश्मीर में है और देखरेख के अभाव में काफी क्षतिग्रस्त हो गई है। शारदा पीठ कश्मीरी हिंदुओं की आस्था का प्रमुख रही है। देवी शारदा को ज्ञान की देवी कहा जाता है। कश्मीरी पंडितों के अलावा यह पावन तीर्थस्थल सभी हिंदुओं के लिए भी खासा महत्व रखता है। यह न सिर्फ अहम धार्मिक स्थल था बल्कि 12वीं सदी तक यहां एक विशाल शिक्षा केंद्र भी था जिसमे बंगाल तक से छात्र यहां शिक्षा के लिए आते थे। अभी भी दक्षिण भारत के सारस्वत ब्राह्मणों में शिक्षा आंरभ करने से पूर्व सात कदम कश्मीर की तरफ चलने की परंपरा है। इसे शारदा पीठ से जोड़ कर देखा जाता है।
No comments:
Post a Comment